टिकट की टक्कर! भारतेंद्र बनाम मौसम चौधरी या कोई तीसरा मारेगा बाज़ी?

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बिजनौरलोकसभा चुनाव में अब कुछ ही महीनों या हफ़्तों का समय बचा है। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के बीच टिकट की होड़ शुरू हो गई है। लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों के स्थानीय नेताओं ने लखनऊ या दिल्ली दरबार में जाना शुरू कर दिया है। आप शहर में लगे पोस्टरों व बैनरों के माध्यम से भी अंदाज़ा लगा सकते है कि किसे नेता ने टिकट की तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन पार्टी अपने पत्ते आख़िरी टाइम पर खोलेगी। फ़िलहाल, तो स्थानीय नेताओं की होड़ को साफ़ देखा जा सकता है। लोकसभा चुनाव को लेकर हम आज भाजपा का गढ़ कहे जाने वाली बिजनौर लोकसभा सीट की चर्चा करेंगे और चर्चा भी भाजपा के दो बड़े नेताओं की होगी। जिनको पार्टी में एकदूसरे को धूर विरोधी माना जाता है। दरअसल, हम बात पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता भारतेंद्र सिंह व विधायक पति और भाजपा नेता ऐश्वर्या चौधरी उर्फ़ मौसम भैया की कर रहे हैं। वैसे तो इस लोकसभा सीट पर भाजपा से टिकट के लिए कई नाम सामने आ रहे हैं, लेकिन राजा भारतेंद्र सिंह और ऐश्वर्या चौधरी उर्फ़ मौसम भैया की चर्चा हम इसलिए कर रहे है, क्योंकि क़रीब 10 साल पहले लोकसभा टिकट के लिए दोनों नेताओं के बीच मनमुटाव देखने को मिला था।

 राजा भारतेंद्र सिंह

बिजनौर सीट के लिए राजा भारतेंद्र सिंह को भाजपा का सबसे विश्वनीय चेहरा कहा जाए तो यह ग़लत नहीं होगा। दरअसल, यह हम नहीं कह रहे बल्कि इसकी गवाही ख़ुद आँकड़े बता रहे हैं। 2002-03 में बिजनौर सदर सीट से भारतेंद्र पहली बार विधायक बने थे।  साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में भारतेंद्र ने एक बार फिर जीत दर्ज की थी। इसके बाद साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भी भारतेंद्र सिंह जीतने में कामयाब रहे थे। लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में भारतेंद्र को हार का सामना करना पड़ा थाहालाँकि कई मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जाता है कि पार्टी में आपसी मतभेद के चलते भारतेंद्र सिंह को हार का सामना करना पड़ा था।

दावेदारी क्यों मजूबत मानी जा रही है?

राजा भारतेंद्र सिंह भाजपा के पुराने सिपाही माने जाते है। भगवा कुर्ता पहनने वाले कई सालों से भाजपा से जुड़े हुए हैं। बिजनौर सीट पर जाट मतदाता निर्णायक भूमिका में है और भारतेंद्र सिंह भी इसी बिरादरी से आते हैं। जाट मतदाताओं को भाजपा का वोटर्स माना जाता है। साल 2013 में मुज़फ़्फ़रनगर में दंगे के बाद से जाट मतदाताओं का रुख़ बिल्कुल ही भाजपा की ओर मुड़ गया। साल 2014 और साल 2017 के चुनाव में जाटों ने भाजपा को दिल खोलकर वोट दिया था, लेकिन किसान आंदोलन के बाद ऐसी चर्चाएँ थी की जाटों का भाजपा से मोह भंग हो गया है, लेकिन चुनावी नतीजों में यह बात साबित नहीं हुई। हालाँकि, कुछ सीटों पर इसका असर जरुर दिखा था। राजा भारतेंद्र बेदाग़ छवि और ज़मीनी से जुड़े नेता माने जाते है। ऐसे में भाजपा एक बार फिर भारतेंद्र को अपना उम्मीदवार बना सकती है। यह कहना ग़लत नहीं होगा।

दावेदारी तो मज़बूत पर कमजोरी भी है!

भाजपा से टिकट की होड़ में राजा भारतेंद्र सिंह की अगर कोई कमजोरी नज़र आती है तो वो यह है कि भारतेंद्र सिंह साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव और साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। जो कहीं ना कही टिकट की दावेदारी के लिए उनकी कमजोरी बनकर सामने आ सकती है। इसके अलावा पार्टी बिजनौर लोकसभा सीट से किसी नए चेहरे पर दांव खेलने का मन बनाती है तो यह फ़ैसला भी भारतेंद्र सिंह के ख़िलाफ़ जा सकता है।  

ऐश्वर्या चौधरी उर्फ़ मौसम भैया

बिजनौर शहर से कुछ ही दूरी पर हुए पेद्दा कांड से चर्चा में आए ऐश्वर्या चौधरी उर्फ़ मौसम भैया की पार्टी में अच्छी पकड़ मानी जाती है। भाजपा में मौसम भैया की सच्चे सिपाहियों में गिनती होती है। मौसम भैया की बिजनौर लोकसभा सीट पर टिकट पर दावेदारी इसलिए मज़बूत मानी जा रही है क्योंकि मौसम भैया की युवाओं में अच्छी पकड़ है। वह ज़मीनी स्तर पर पार्टी के लिए काम करते हैं। इसके अलावा पार्टी के शीर्ष नेताओं में भी मौसमी भैया के संबंध काफ़ी अच्छे माने जाते है। और मौसम भैया जाट बिरादरी से आते है, जिसका फ़ायदा उन्हें मिल सकता है। मौसम भैया विधायक सूची चौधरी के पति हैं और सूची चौधरी लगातार दूसरी बार विधायक का चुनाव जीतने में सफल रही है। इसी से समझा जा सकता है कि मौसम भैया या फिर उनके गुट की बिजनौर में पकड़ कितनी मज़बूत है। 

मौसम भैया की कमजोरी?

ऐश्वर्या चौधरी उर्फ़ मौसम भैया की पत्नी विधायक है। ऐसे में पार्टी मौसम भैया को लोकसभा का टिकट देने से क़तरा सकती है। वैसे भी भाजपा लगातार परिवारवाद को मुद्दा बनाती आई है। और ख़ुद को इसके ख़िलाफ़ बताती है। ऐसे में भाजपा विधायक के पति को टिकट देकर अपने बनाए मुद्दे को हाथ से नहीं देना चाहेगी। इसके अलावा साल 2019 में बिजनौर लोकसभा सीट पर भाजपा को हार मिली थी। तब से लेकर कई मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि मौसम भैया गुट की नाराज़गी के चलते भारतेंद्र सिंह को हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में यह मामला भी टिकट की होड़ में मौसम भैया के ख़िलाफ़ जा सकता है।

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